आश्चर्य है कि
जिन हाथों में कलम – दवात था कभी
उसमें पत्थर है पकड़े हुए
सारे हथियार
खतरनाक बंदूकें
बारूद
जहरीले किस्म के औजार
ताज्जुब होता है
जिन्हें रंगीन कापियों की जरूरत है
वह अभी से ही
बस्ते में भर कर ले जा रहे हैं तबाही की किताबें
खून से भरी पेंसिले
बड़ी हैरत की बात है
जिन हाथों ने अभी पेंसिलों में स्याही भरना भी नहीं सीखा
उन हाथों में क्या - क्या थमा दिया है
आज के
भय और आतंक के इस समय ने !